Long Emotional Story in Hindi
Long Emotional Story in Hindi
करूणा और शोभा दोंनो कार की पिछली सीट पर बैठीं थीं। शोभा ने करूणा का हाथ पकड़ रखा था।
करूणा बुरी तरह डर रही थी और बार बार पीछे मुड़ कर देख रही थी।
कार हाईवे पर दौड़ रही थी। शोभा ने करूणा से कहा – ‘‘करूणा बिल्कुल मत डर अब तुझे वो लो नहीं ढूंढ पायेंगे। उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि तू कहां गई?’’
यह सुनकर करूणा थोड़ा सा सहज हुई शोभा ने पानी की बोतल करूणा की ओर बढ़ाई करूणा ने पानी पिया। फिर वह कुछ देर आंख बंद करके बैठी रही। जैसे कोई बहुत बड़ी मुसीबत उसके सर से टल गई हो।
कुछ देर बाद शोभा ने पूछा – ‘‘करूणा तू ठीक है क्या हम बात कर सकते हैं। अब तू बता पायेगी क्या हुआ।’’
करूणा ने हां में सर हिलाया और फिर कहना शुरू किया – ‘‘शोभा जब से मेरी शादी हुई सब कुछ ठीक चल रहा था। ये बहुत प्यार करते थे मुझे पूरा ध्यान रखते थे।
एक भी दिन ऐसा नहीं था जब हमारी लड़ाई हुई हो। पूरे घर का खर्च ये ही चलाते थे। इनका छोटा भाई यानी मेरा देवर कोई काम नहीं करता था। दिन भर इधर उधर घूमता रहता था। शाम को शराब पीकर आ जाता था।
कई बार तो उसका झगड़ा हो जाता था। जिसे तेरे जीजाजी निबटाते पैसे भी देते थाने में जाकर कई बार इसकी जमानत करवा कर भी लाये थे।
इधर मेरी सास हमेशा मेरे देवर का पक्ष लेती थी। इसी बात से हम दोंनो कुछ परेशान रहते थे।
अभी छः महीने पहले हम रात को खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे। तभी दो लोग बाईक पर हमारे घर आये और मेरे देवर का नाम लेकर पूछने लगे। इन्होंने कहा वह घर पर नहीं है। तो वो जबरदस्ती घर में घुसने लगे।
क्योंकि मेरे देवर ने उनसे काफी पैसे उधार ले रखे थे। वो सोच रहे थे कि हमने उसे छिपा रखा है। जब बहुत देर तक झगड़ा करने के बाद भी वे लोग नहीं माने तो इन्होंने उनमें से एक गुंडे को धक्का दे दिया।
यह देख कर दूसरे ने गन निकाल कर इन पर फायर कर दिया।’’
यह कहकर करूणा सुबक सुबक कर रोने लगी।
उसकी बातें सुनकर शोभा की आंखों से भी आंसू बह रहे थे।
करूणा ने आगे कहना शुरू किया – ‘‘गोली लगते ही ये गिर पड़े। मैं इन्हें संभालती रही चिल्लाती रही तब तक वो दोंनो भाग गये। किसी तरह इन्हें अस्पताल ले गये। लेकिन रास्ते में ही ये नहीं रहे।’’
मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई। सोचने समझने की शक्ति चली गई। पूरे घर में रोना पिटना मच गया। लेकिन इनके छोटे भाई को इसका जरा भी दुःख नहीं था।
वह तो एक ही बात बोल रहा था – ‘‘घर की तलाशी लेने देता जब मैं नहीं मिलता तो वो वापस चले जाते उनसे पंगा लेने की क्या जरूरत थी।’’
मेरी सास और देवर कुछ ही दिनों में सब भूल गये। उन्होंने पुलिस से कम्पलेंट भी वापस ले ली यह कहकर कि वे गुंडे उन्हें भी मार डालेंगे।
मैं बेसुध सी बैठी रहती एक दिन मेरी सास मेरे पास आई और बोली – ‘‘महारानी कब तक शोक मनाती रहोंगी घर का काम कौन करेगा।’’
मेरा तो कुछ करने का मन ही नहीं कर रहा था। समझ नहीं आ रहा था अब जिउं भी तो किसके लिये लेकिन सास ने मुझे काम में लगा दिया। मैं घर के काम में अपने आपको व्यस्त रखने लगी।
कुछ दिन बीत जाने पर मेरी सास एक दिन मेरे पास आई और बोली – ‘‘करूणा जिन्दगी बहुत लम्बी है तेरा वैसे भी कोई सहारा नहीं है। तू मेरे छोटे बेटे यानी अपने देवर से शादी कर ले।’’
यह सुनकर मेरे होश उड़ गये कि ये क्या बोल रही हैं। मैं तो सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकती थी। अब मुझसे बर्दाशत नहीं हुआ और मैंने अपनी सास को साफ साफ बोल दिया – ‘‘खबरदार मांजी जो आज के बाद उस शराबी का नाम मेरे नाम के साथ जोड़ा मैं अपने पति की खातिर आपकी सेवा करने के लिये यहां पड़ी हूं। मैं मर जाउंगी लेकिन कभी उस शराबी से शादी नहीं करूंगी।’’
यह सुनकर मेरी सास बहुत गुस्सा हो गई और बोली – ‘‘मैं भी देखती हूं कैसे शादी नहीं करती जब वो किसी दिन तेरे साथ जबरदस्ती कर लेगा तो तुझे मजबूरी में शादी करनी पड़ेगी।’’
मेरी सास के रहते ये सब नहीं हो सकता था। क्योंकि गांव में सब जान जाते। आज दोपहर को जब मैं घर का कूड़ा फेंकने घर के पीछे जा रही थी। तो मेरी सास मेरे देवर से कह रही थी कि मैं आज रात तेरी मौसी के घर जा रही हूं।
तू रात को करूणा को अपने वश में कर लेना। ये ले पैसे अभी पी आ रात को मत पिओ। सुबह हम लोगों से कह देंगे शराब के नशे में ये सब हो गया। अब दोंनो की शादी कर देंगे।
यह सुनकर मेरे देवर ने कहा – ‘‘लेकिन मां वो नहीं मानी तो।’’
तब मेरी सास ने कहा – ‘‘उसके हाथ-पैर तोड़ दियो फिर न कहीं भागने लायक रहेगी न किसी को कुछ बताने लायक।’’
मैंने यह सुना तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मेरी सास तो चली गई मेरा देवर पीकर आंगन में पड़ा था। मैं चुपचाप अपनी जान और इज्जत बचा कर भाग आई।’’
यह कहकर करूणा फूंक फूंक कर रो पड़ी।
उसे रोता देख कर शोभा भी रोने लगी – ‘‘हे भगवान इतना तू इतना सब सहती रही। मैं तो सोच रही थी तू बहुत सुखी होगी।’’
करूणा ने रोते हुए कहा – ‘‘बहन लगता है मेरी किस्मत में सुख है ही नहीं कभी कभी तो सोचती हूं मर ही जाउं।’’
शोभा ने उसे समझाते हुए कहा – ‘‘नहीं करूणा मेरे रहते हुझे चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। अब से तू हमारे साथ रहेगी।’’
करूणा शोभा के गले लग कर रोती रही रास्ते भर शोभा उसे तसल्ली देती रही कुछ देर में करूणा को जैसे नींद आ गई।
शोभा ने करन से बात की – ‘‘करन तुमसे पूछे बगैर मैंने करूणा को अपने साथ रखने के लिये बोल दिया तुम्हें बुरा तो नहीं लगा।’’
करन ने कहा – ‘‘कैसी बात करती हो शोभा मुझे तो खुशी है हम किसी के काम आ रहे हैं।
कुछ ही देर में तीनो घर पहुंच गये। शोभा ने करूणा को गेस्ट रूम में ले जाकर सुला दिया। उसके बाद दोंनो अपने बेडरूम में आ गये। थक जाने के कारण करन तो सो गया।
लेकिन शोभा की आंखों से नींद गायब थी। पिछले तीन चार घंटों में इतना कुछ हो गया। जिसे सोच कर उसे यकीन नहीं हो रहा था।
शेष आगे —
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